मादक द्रव्य दुरूपयोग निवारण
मादक द्रव्य दुरूपयोग एक विश्वव्यापी खतरा बन गया है। मादक द्रव्यों की लत के अभिशप से विश्व का कोई भाग अछुता नहीं है। मादक द्रव्यों का दुरूपयोग एक गम्भीर चिंता के रूप में सामने आया है जो देशे के भौतिक एवं सामाजिक कल्याण को प्रभावित कर रहा है। इसका प्रभाव समाज के विविध वर्गों के स्वास्थ्य पर बहुत ही प्रभाव पडता है। भारत में युवा पीढ़ी में मादक द्रव्यों के दुरूपयोग का रोग अप्रत्याशित ढंग से बढ़ा है। आधुनिक समय के जीवन के तनाव ने व्यक्ति को मादक द्रव्यो के दुरूपयोग की समस्या की ओर उन्मुख कर दिया है। शराब एवं मादक द्रव्यों की लत से न केवल सेवन करने वाले व्यक्ति बल्कि परिवार एवं समाज को भी बहुत ही प्रभावित करता है।
देश में मादक द्रव्यों के दुरूपयोग के प्रभावों बहुआयामी निहितार्थों की गम्भीरता को समझते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ड्रग मांग की कमी राष्ट्रीय कार्रवाई योजना के माध्यम से शराब एवं मादक द्रव्यों के दुरूपयोग की रोकथाम के स्कीम का क्रियान्वयन कर रहा है। यह जागरूकता सृजन, परामर्श, पीड़ियों/आश्रितों को परामर्श उपचार एवं पुनर्वास जैसे सेवाएं प्रदान करता है। प्रोग्राम मादक द्रव्य पर आश्रित व्यक्तियों एवं उनकी देखभाल करने वालों के लिए शैक्षणिक कार्याक्रमों एवं सेवाओं के माध्यम से सामुदाय आधारित निवारण दृष्टिकोण पर जो देता है!
समस्या की भयावहताः
ड्रग एवं सामान्य लोगों में मादक द्रव्यों के सेवन पर अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) 2018 सर्वेक्षण के अनुसार बुजुर्ग लोगों की अपेक्षा युवाओं में मादक द्रव्य का सेवन अधिक है। यद्यपि अफीम एवं खात जैसे मादक द्रव्यों के पारम्परिक सेवन इसके अपवाद रहे हैं। ज्यादात्तर अनुबंधान कर्त्ता सलाह देते हैं कि किशोरों में (12-14 वर्ष) तथा (15 से 17 वर्ष) मादक द्रव्यों के सेवन के ज्यादा करने खतरे की अवधि रहती है तथा 18-25 वर्षों के युवाओं में इसका सेवन चरम पर होता है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के हाल में भारत में मादक द्रव्यों के सेवन की सीमा एवं पैटर्न पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मादक द्रव्यों क उपयोग की मात्रा निम्नानुसार हैः
• 10 से 75 वर्षों के बीच के 16 करोड़ लोग (14.6%) अलकोहल के चालु उपयोग कर्त्ता हैं जिसमें से 5.2% अलकोह आश्रित हैं।
• करीब 3% करोड़ लोग (2.8%) भांग उपयोग कर्त्ता हैं तथा 72 लाख लोग भांग उपयोग की समस्याओं से पीड़ित हैं।
• कुल मिलाकर ओपियड उपयोग कर्त्ता 2.06% हैं तथा करीब 0.55% (60 लाख) लोगों को उपचार/स्वास्थ्य सेवा की आश्यकता हैं।
• वर्त्तमान में सिडेटिव के 1.18 करोड़ (1.08%) उपयोग कर्त्ता हैं (गैर चिकित्सीत उपयोग)।
• नवजवान 0.58% निश्क्रिय उपयोग कर्त्ता की तुलना में बच्चों एवं किशोरों यह प्रतिशत 1.7 है।
• यह अनुमान है कि करीब 8.5 लाख लोग ड्रग की सूई लेते हैं (PWID – व्यक्ति जो ड्रग की सूई देते हैं)।
मादक द्रव्यों के दुरूपयोग के वृह्द प्रसार से बच्चों को संरक्षित करना भारत द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बड़ी नीतिगत चुनौतियों में से एक है। सरकारी एवं प्राईवेट दोनों एजेसियों की हाल की रिपोर्ट दर्शाती है कि नवजवान बच्चों में मादक द्रव्यों के सेवन एवं दुरूपयोग के प्रचलन में अवपूण्र वृद्धि हुई है।
तत्काल आवश्यकता इस बात की है कि किस प्रकार बच्चों को (बच्चों के उम्र तथा अवस्था) को ध्यान में रखते हुए मादक द्रव्यों के सेवन के खतरों तथा प्रचलित सहकमियों एवं सामाजिक दबावों के विरूद्ध प्रतिरोधों को विकसित करते की आवश्यकता के प्रति सुग्राही बनायें। इसके लिए रूकूल एवं कॉलेज के छात्रों, शिक्षाओं एवं परिवार के सदस्यों को लक्ष्यित कर स्कूलों एवं समुदायों के लिए निवारण एवं नियंत्रण के व्यापक कार्यक्रम बनायें जाने की आवश्यकता है। आत्मविश्वास एवं पर्याप्रतता के प्रति दृष्टिकोण बदलने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी कदमों की आवश्यकता है ताकि किशोरों एवं बच्चों में जोखिम आचरणें पर रोक लगायी जा सके।
द्ष्टिकोणः
यूनॉईटेड नेशन्स कॉनवेनशन एवं विद्यमान नारकोटिक ड्रग्स एण्ड साइकोट्रोफिक सब्सटेशेन (NDPS) एक्ट 1985 तथा एन.डी.पी.सी. पॉलिसी 2012 की भावना के अनुरूप मंत्रालयने 2018-23 के लिए ड्रग मांग कमी के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार किया है। एन.ए.पी.डी.डी.आर का लक्ष्य केन्द्रीय, राज्य सरकारों एवं गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयास से निवारण, शिक्षा जागरूकता सूजन ड्रग आश्रित व्यक्तियों की पहचान काउन्सेलिंग, उपचार एवं पुनर्वास करना तथा सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण करना है।
राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान जो कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का एक स्वायत्त निकाय है उसे एन.ए.पी.डी.डी.आर. की क्रिया कलापों को कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौपी गयी है। एन.पी.डी.डी.आर. के अन्तर्गत एन.आई.एस.डी की क्रिया कलापों में से एक प्रमुख कार्य विभिन्न लक्ष्यित समूहों को ऑरियेंटेशन एवं क्षमता निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करता है। इसमे स्कूल एवं कॉलेज के छात्र एवं शिक्षक, जेलों के कर्मचारी,पुलिस सुधार संस्थान एवं बाल संरक्षण संस्थान पी.आर.आई.एन.वाई के एवं एन.एस.एस. आदि शामिल हैं ताकि मादक द्रव्य दुरूपयोग संबंधी मुद्दों पर कार्य करने के लिए प्रभावी अन्तः क्षेप मोडुल्स का निर्माण किया जाए तथा रणनीति बनाया जाए तथा सेवा डिलिवरी में गुणात्मक सुधार लाया जाए।
एन.ए.पी.डी.डी.आर. का मूल आधार सर्वभौमिक निवारक उपायों को प्रदान करता है जो मादक द्रव्यों के सेवन पर रोक या विलम्ब करने के उद्देश्य से संदेशों एवं कार्यक्रमों के द्वारा पूरी जनसंख्या को संबोधित करता है। यह प्रयास लोगों के अपने सेटिंग में मादक द्रव्यों के उपयोग की समस्या को रोकने के लिए अपेक्षित सूचना एवं कौशल सूलभ कराकर मादक द्रव्यों के सेवन की शुरूवात को रोकेगा।
इस प्रकार उपरोक्त प्रयासों के द्वारा एन.ए.पी.डी.डी.आर के निम्न लक्ष्यों को प्राप्त किया जाना हैः
1. व्यक्ति, परिवार, कार्यस्थल तथा पूरे समाज में मादक द्रव्यों के सेवन गलत प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करता तथा शिक्षित करना तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा मे वापस लाने के लिए उनके कलंक तथा मादक द्रव्यो पर आश्रित समूहों एवं व्यक्तियों के बीच विभेद को कम करना।
2. इन उद्देश्यों के लिए कार्य करने हेतु मानव संसाधन को विकसित करना तथा उनकी क्षमता को निर्माण करना
3. उद्देश्यों को मजबूती प्रदान करने के लिए अनुसंधान, प्रशिक्षण, प्रलेखन, अन्वेषण तथा महत्वपूर्ण सूचनाओं को सग्रहण सुलभ करना
4. नशेड़ियों की पूरी तरह ईलाज (WPR) के लिए पहचान, अभिप्रेरणा, काउंसेलिंग, डी.एडिक्शन, आफ्टरकेयर तथा उनके पुर्नवास हेतु समग्र समुदाय आधारित सेवाएं प्रदान करना
लक्षित दर्शक
कार्यक्रम अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों प्रशिक्षण संस्थाओं, एन.जी.ओ तथा अन्य स्वैच्छिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से चलाया जाएगा। एन.पी.डी.डी.आर के अन्तर्गत निम्न सूचीबद्ध किये गये हैः
1. स्कूल एवं कॉलेज छात्र
2. शिक्षक, कांउसेलर तथा स्कूल एवं कॉलेजों के अध्यापन संकाय।
3. आई.आर.सी.ए के कर्मचारी तथा ड्रग प्रिवेशन सेक्टर के प्रोफेशनल।
4. सरकारी, अर्ध सरकारी तथा गैर सरकारी स्थापनाओं में सेवा प्रदाता।
5. मादक द्रव्य दुरूपयोग निवारण पर पी.आर.आई तथा यू.एल.बी के प्रतिनिधि, पुलिस कर्मी, पैरा मिलिटरी बल, न्यायिक अधिकारी, बार काउंसेलिंग आदि।
6. कैदखानों एवं बल गृहों में कर्मचारी तथा आई.सी.पी.एल कर्मी।
लक्ष्य एवं उद्देश्य
मादक द्रव्य दुरूपयोग निवारण के क्षेत्र में एन.सी.डी.ए.पी. की मुख्य क्रियाकलाप निम्न हैः
• मादक द्रव्य मांग कमी करने के क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों के विविध स्तरों की क्षमता निर्माण
• सूचना का नवीनीकरण तथा समुचित डेटा बेस एवं मॉनिटरिंग सिस्टम की स्थापना।
• स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर सब्सटेंस डिमाण्ड रिडक्शन के क्षेत्र में लिंकजेज का विकास, एडवोकेश सुलभ करवाना तथा नेटवकिंग सुविधा का विकास करना
• घटना के नियंत्रित करने के लिए निकट के शिक्षान हेतु कार्यक्रम विकसित करना तथा मादक द्रव्य एवं एल्कोहल दुरूपयोग के बंरे प्रभावो के बारे में जानकारी का प्रसार करना,
• एन.ए.पी.डी.डी.आर की क्रियाकलायें।